कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में लगने वाली कंप्यूटर चिप्स और बैटरीज में ऐसा प्लास्टिक इस्तेमाल होता है, जिसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता। मगर अब वैज्ञानिकों ने इस प्लास्टिक को बायोडिग्रेडेबल मटेरियल से बदलने का तरीका ढूंढ लिया है।
साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित एक नई रिसर्च में ऑस्ट्रिया की जोहैनस केप्लर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मशरूम की स्किन से इलेक्ट्रॉनिक सबस्ट्रेट बनाया है। सर्किट की बेस लेयर को सबस्ट्रेट कहते हैं। यह इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसफर करने वाले मेटल्स को ठंडा और इंसुलेट करता है।
गैनोडर्मा लूसीडम मशरूम एक प्रकार की फंगस है, जो यूरोप और पूर्वी एशिया के सड़ते हुए पेड़ों पर उगती है। स्टडी में शामिल रिसर्चर्स डोरिस डैनिंगर और रोलैंड प्रकनर ने पाया कि ये मशरूम अपने सुरक्षित विकास के लिए जड़ जैसे नेटवर्क माइसेलियम से बनी त्वचा बना लेता है।
[Image : Ganoderma lucidum Mushrooms stock] |
वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक की जगह इसी त्वचा को सुखाकर इस्तेमाल करना चाहा।रिसर्च में मशरूम की त्वचा को निकालकर सुखाया गया। रिसर्चर्स ने देखा कि यह लचीली और अच्छी इंसुलेटर है। यह इलेक्ट्रिकल सर्किट में भी अच्छे से काम करती है और आसानी से 200 डिग्री सेल्सियस तापमान सह लेती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि कंप्यूटर चिप्स को बनाने में उन पेड़ों के मशरूम काम आएंगे, जो पूरी तरह बेकार चले जाते हैं। फिलहाल इससे बने सर्किट ऐसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में लगाए जा सकेंगे, जो ज्यादा समय नहीं चलते। इनमें वियरेबल सेंसर और रेडियो टैग शामिल हैं। मशरूम स्किन के कारण इन्हें रिसाइकिल भी किया जा सकेगा।
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