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Friday, November 18, 2022

Computer chips and Ganoderma lucidum Mushrooms - New research

 कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में लगने वाली कंप्यूटर चिप्स और बैटरीज में ऐसा प्लास्टिक इस्तेमाल होता है, जिसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता। मगर अब वैज्ञानिकों ने इस प्लास्टिक को बायोडिग्रेडेबल मटेरियल से बदलने का तरीका ढूंढ लिया है। 

साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित एक नई रिसर्च में ऑस्ट्रिया की जोहैनस केप्लर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मशरूम की स्किन से इलेक्ट्रॉनिक सबस्ट्रेट बनाया है। सर्किट की बेस लेयर को सबस्ट्रेट कहते हैं। यह इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसफर करने वाले मेटल्स को ठंडा और इंसुलेट करता है। 

गैनोडर्मा लूसीडम मशरूम एक प्रकार की फंगस है, जो यूरोप और पूर्वी एशिया के सड़ते हुए पेड़ों पर उगती है। स्टडी में शामिल रिसर्चर्स डोरिस डैनिंगर और रोलैंड प्रकनर ने पाया कि ये मशरूम अपने सुरक्षित विकास के लिए जड़ जैसे नेटवर्क माइसेलियम से बनी त्वचा बना लेता है।

[Image : Ganoderma lucidum Mushrooms stock]

वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक की जगह इसी त्वचा को सुखाकर इस्तेमाल करना चाहा।रिसर्च में मशरूम की त्वचा को निकालकर सुखाया गया। रिसर्चर्स ने देखा कि यह लचीली और अच्छी इंसुलेटर है। यह इलेक्ट्रिकल सर्किट में भी अच्छे से काम करती है और आसानी से 200 डिग्री सेल्सियस तापमान सह लेती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि कंप्यूटर चिप्स को बनाने में उन पेड़ों के मशरूम काम आएंगे, जो पूरी तरह बेकार चले जाते हैं। फिलहाल इससे बने सर्किट ऐसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में लगाए जा सकेंगे, जो ज्यादा समय नहीं चलते। इनमें वियरेबल सेंसर और रेडियो टैग शामिल हैं। मशरूम स्किन के कारण इन्हें रिसाइकिल भी किया जा सकेगा।

Warts and Ayurveda - simple to manage and treat.

In the modern system of medicine, warts are defined as small, fleshy, or hard bumps on the skin or mucous membranes caused by human papillomavirus. Warts are caused by various strains of human papillomaviruses. 

[Wart in the index finger of a hand]

Different strains may cause warts in different parts of the body. Warts can be spread from one location on the body to another or from person to person by contact with the wart. 

Symptoms: The main symptom is a fleshy, painless growth on the skin. Common areas affected include the hands, feet, and genitals. 

Treatment: It may include topical medication and removal through medical procedures. 

However, in terms of Ayurveda, a wart is formed when Vayu and Kapha combine on the skin. When Vayu predominates, pain and roughness develop. With Pitta's dominance, they look blackish-red. If Kapha is in predominance, they look greasy, knotty, or the same color as the skin. Kapha creates soft skin and Pitta causes hard skin. They combine when following incompatible therapies for instance ingesting milk and salt together, and cause warts.

Therapies - Externally lemon juice or tea tree oil is applied to warts daily for several weeks till it cures. 

Have a healthy life. 


Wednesday, November 16, 2022

Insanity (Unmada) - causes, symptoms, therapies and recdovery - Best Ayurvedic treatment

"उन्माद का दूसरा नाम है दीवानापन या पागलपन I इसे ही मेडिकल भाषा में इनसैनिटी (Insanity) कहा जाता है I लगभग सभी मनुष्यों में उन्माद तो होता ही है किन्तु जब यह हद से गुज़र जाये तो उसे पागलपन की संज्ञा दे दी जाती है I उदाहरण जैसे जवानी का उन्माद, उन्मादी कवि इत्यादिI " 

The definition of insanity is having a serious mental illness or being extremely foolish. An example of insanity is a personality disorder. An example of insanity is jumping out of an airplane without a parachute. Severe mental illness or derangement. 

Maharishi Charak defines insanity as " the perversion of the mind. intellect, consciousness, knowledge, memory, desire, manners, behavior, and conduct."

Five types of Insanity exist: Vayu, Pitta, Kapha, Tridosa, and externally caused insanity. It is the main disease of Vayu doshas. The main cause of insanity, as we will see, results from personal misdeeds. When any of the three doshas cause insanity, symptoms quickly develop in persons with certain conditions. These characteristics include timidness, an agitated or lethargic mind, or an imbalance of physical doshas. Other conditions include following an unwholesome diet or lifestyle when other health concerns are present, or if the mind is constantly afflicted by emotions (e.g. fear, anger, greed, etc.) 

Symptoms- General symptoms include, impatience, fickleness, unsteady vision, a sensation of a vacuum in the heart, and loss of peace, memory, and intellect. 

Therapies- There are many therapies to treat insanity have been prescribed depending upon the condition of the disease and behavior of the patients however, some of the general therapies are done by Herbs,  musk and frankincense, chanting mantras (Aum Namah Shivaya), wearing talismans and jewelry, performing auspicious rites, religious sacrifices, taking vows, oblations, fulfilling religious duties, atonement, fasting, receiving blessings, obeisance, and pilgrimages. Following wholesome foods and lifestyle is also necessary. Ghee may be eaten as often as desired. One should sleep in a draft-free room. One popular recipe in Ayurveda is as follows- 

Brahmi Ghee (4 days worth): Brahmi - 50 g; Shankh pushpi - 50 g., Aswagandha - 50 g., Jatamanshi - 50 g, Ghee - 100 g. Now make a paste from the herbs and roll it into a ball, biol the ghee and add the paste and cook for 1/2 hour, and then filter. 

Doses:  1 tsp 2 times daily (May be used for any mental disorders) 

Sign of recovery: When one's clarity and sense of normalcy reappear, it is a sign that the symptoms are removed. 

I Hope, this article surely will help to cure many of the persons who suffer from insanity. Thank you.    

''Have wonderful health always''



इस नयी बीमारी का नाम बताया "स्क्रब टायफ़स"

 रहस्यमयी बुखार 'स्क्रब टायफ़स' 

विगत एक माह से उत्तरप्रदेश एक रहस्यमयी बुखार के संकट से जूझ रहा है. ये बुखार इतना वायरल है कि शायद ही उत्तरप्रदेश का कोई ऐसा घर हो जिसमें एक रोगी पीड़ित न निकले. लोग जूझ रहे हैं. ठीक भी हो रहे हैं. कुछ रोग की अज्ञानता में कोलैप्स भी कर जा रहे हैं. प्रदेश एक अघोषित पेन्डेमिक से गुज़र रहा है.

इस बुखार का रहस्य ये है कि सारे लक्षण डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया से मिलते जुलते हैं पर जब टेस्ट कराइये तो सब निगेटिव आता है. क्योंकि बीमारी के लक्षण भले ही मिलते हों पर बीमारी अलग है.

विडंबना ये है कि बहुत से डॉक्टर भी वायरल मान कर उसका ट्रीटमेंट दे रहे हैं या डेंगू का ट्रीटमेंट दे रहे हैं. उनको भी रोग के विषय में नहीं मालूम.

(ये मैं इस आधार पर कह रही हूँ कि मेरे बेटे और मेरे पति, दोनों के बुखार को डेंगू समझ कर ट्रीटमेंट दिया गया. और दोनों ही सुप्रसिद्ध डॉक्टर्स के द्वारा दिया गया.)

जब 12 नवंबर को मुझे मुझमें लक्षण दिखे तो मुझे मेरे फैमिली डॉक्टर को दिखाया गया. उन्होंने मुझे इस नयी बीमारी का नाम बताया "स्क्रब टायफ़स"

फिर मैंने इस बीमारी के विषय में रिसर्च की और मुझे लगा कि इसको सबसे शेयर करना चाहिये क्योंकि मेरे कुछ बहुत ही अजीज़ लोगों की मृत्यु का समाचार मिल चुका है मुझे.

स्क्रब टायफ़स के संक्रमण का कारण:-

▪️थ्रोम्बोसाइटोपेनिक माइट्स या chigger नामक कीड़े की लार में orientia tsutsugamushi नामक बैक्टीरिया होता है, जो स्क्रब टायफ़स का कारण है. इसी के काटने से ये फैलता है. इन कीड़ों को सामान्य भाषा में कुटकी या पिस्सू कहते हैं. इनकी साइज़ 0.2 mm होती है.

▪️संक्रमण का incubation period 6 से 20 दिन का होता है. अर्थात कीड़े के काटने के 6 से 20 दिन के अंदर लक्षण दिखना शुरू होते हैं.

स्क्रब टायफ़स के लक्षण:-

(इसके लक्षण डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया सभी के मिले जुले लक्षण हैं)

▪️ठण्ड दे कर तेज़ बुखार आना

▪️बुखार का फिक्स हो जाना, सामान्य पैरासिटामोल से भी उसका न उतरना

▪️शरीर के सभी जोड़ों में असहनीय दर्द व अकड़न होना

▪️मांसपेशियों में असहनीय पीड़ा व अकड़न

▪️तेज़ सिर दर्द होना

▪️शरीर पर लाल रैशेज़ होना

▪️रक्त में प्लेटलेट्स का तेज़ी से गिरना

▪️मनोदशा में बदलाव, भ्रम की स्थिति (कई बार कोमा भी)

खतरा:-

Timely पहचान व उपचार न मिलने पर

▪️मल्टी ऑर्गन फेलियर

▪️कंजेस्टिव हार्ट फेलियर

▪️सरकुलेटरी कोलैप्स


मृत्युदर:-

सही इलाज न मिलने पर 30 से 35% की मृत्युदर तथा 53% केस में मल्टी ऑर्गन डिसफंक्शनल सिंड्रोम की पूरी सम्भावना

कैसे पता लगाएं:-

Scrub antibody - Igm Elisa नामक ब्लड टेस्ट से इस रोग का पता लगता है. (सब डेंगू NS1 टेस्ट करवाते हैं और वो निगेटिव आता है.)

निदान:-

जिस प्रकार डेंगू का कोई स्पेसिफिक ट्रीटमेंट नहीं है वैसे ही स्क्रब टायफ़स का भी अपना कोई इलाज नहीं है.

▪️अगर समय पर पहचान हो जाए तो doxycycline नामक एंटीबायोटिक दे कर डॉक्टर स्थिति को नियंत्रित कर लेते हैं.

▪️पेशेंट को नॉर्मल पैरासिटामोल टैबलेट उसके शरीर की आवश्यकता के अनुसार दी जाती है.

▪️ बुखार तेज़ होने पर शरीर को स्पंज करने की सलाह दी जाती है.

▪️शरीर में तरलता का स्तर मेन्टेन रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी, ORS, फलों के रस, नारियल पानी, सूप, दाल आदि के सेवन की सलाह दी जाती है.

▪️लाल रैशेज़ होने पर कैलामाइन युक्त लोशन लगाएं.

▪️रेग्युलर प्लेटलेट्स की जाँच अवश्यक है क्योंकि खतरा तब ही होता है जब रक्त में प्लेटलेट्स 50k से नीचे पहुँच जाती हैं.

▪️आवश्यकता होने पर तुरंत मरीज़ को हॉस्पिटल में एडमिट करना उचित है.

बचाव:-

▪️स्क्रब टायफ़स से बचाव की कोई भी वैक्सीन अब तक उपलब्ध नहीं है.

▪️संक्रमित कीड़ों से बचने के लिए फुल ट्रॉउज़र, शर्ट, मोज़े व जूते पहन कर ही बाहर निकलें.

▪️शरीर के खुले अंगों पर ओडोमॉस का प्रयोग करें.

▪️घर के आस पास, नाली, कूड़े के ढेर, झाड़ियों, घास फूस आदि की भली प्रकार सफाई करवाएं. कीटनाशकों का छिड़काव करवाएं.

▪️अपने एरिया की म्युनिसिपालिटी को सूचित कर फॉग मशीन का संचरण करवाएं.

नोट:-

▪️स्क्रब टायफ़स एक रोगी से दूसरे रोगी में नहीं फैलता. सिर्फ और सिर्फ चिगर नामक कीड़े के काटने पर ही व्यक्ति इससे संक्रमित हो सकता है.

✒️दिव्या मिश्रा राय

(कृपया इस जानकारी को आगे बढ़ाने में मेरा सहयोग करें. क्या मालूम किसके काम आ जाए और किसी की जान बच जाए)

This article is included because of the  desire of Author as she requested to forward in public to make helath awareness. Need not to be panic.Many advance life care technologies already in medical field but request you all not to take self medication. Consult your doctor first and follow their opinion. Every thing will be alright. 

Male Infertility: Causes, Impact, and Consequences for Nations

Abstract: Male infertility is a complex and multifactorial issue that has profound implications not only for individuals and couples but al...