फ़ुटबॉल के सबसे करिश्माई खिलाड़ियों में से एक, अर्जेंटीना के माराडोना के पास प्रतिभा, शोखी, नज़र और रफ़्तार का ऐसा भंडार था, जिससे वो अपने प्रशंसकों को मंत्रमुग्ध कर देते थे। माराडोना का जन्म आज से 60 साल पहले (30.10. 1960 ) अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स के झुग्गी-झोपड़ियों वाले एक कस्बे में हुआ था।
अपनी ग़रीबी से लड़ते हुए वो युवावस्था आने तक फ़ुटबॉल के सुपरस्टार बन
चुके थे। कुछ लोग तो उन्हें ब्राज़ील के महान फ़ुटबॉलर पेले से भी शानदार
खिलाड़ी मानते हैं। माराडोना ने 491 मैचों में कुल 259 गोल दागे थे। इतना ही नहीं, एक
सर्वेक्षण में उन्होंने पेले को पीछे छोड़ '20वीं सदी के सबसे महान
फ़ुटबॉलर' होने का गौरव अपने नाम कर लिया था। हालाँकि इसके बाद फ़ीफ़ा ने वोटिंग के नियम बदल दिए थे और दोनों खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया था।
माराडोना विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं, यह उनके बचपन से ही नज़र आने लगा
था। उन्होंने महज़ 16 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल जगत में क़दम
रख दिया था। कद से छोटे और शरीर से मोटे, सिर्फ़ पाँच फ़ीट पाँच इंच लंबाई वाले माराडोना कोई सामान्य खिलाड़ी नहीं थे। माराडोना के पास चतुराई, तेज़ी, चौकन्नी नज़र, फ़ुटबॉल को काबू में रखने
की क्षमता और ड्रिब्लिंग जैसे गुण थे, जिन्होंने उनके ज़्यादा वज़न से
कभी-कभार होने वाली दिक्कतों को ढँक लिया था।
'हैंड ऑफ़ गॉड' और 'गोल ऑफ़ द सेंचुरी'
माराडोना ने अर्जेंटीना के लिए 91 मैच खेले, जिनमें उन्होंने कुल 34 गोल
दागे। लेकिन ये उनके उतार-चढ़ाव भरे अंतरराष्ट्रीय करियर का एक हिस्सा भर
ही है। उन्होंने अपने देश को साल 1986 में मेक्सिको में आयोजित वर्ल्ड कप में जीत दिलाई और चार बार टूर्नामेंट के फ़ाइनल तक पहुँचाया। 1986 के वर्ल्ड कप के क्वार्टर फ़ाइनल में माराडोना ने कुछ ऐसा किया, जिसकी चर्चा हमेशा होती रहेगी।
मेक्सिको में क्वार्टर फ़ाइनल का यह मैच अर्जेंटीना और इंग्लैंड के बीच
था। दोनों देशों के बीच यह मैच पहले से ही ज़्यादा तनावपूर्ण था क्योंकि
इंग्लैंड और अर्जेंटीना के बीच सिर्फ़ चार साल पहले फ़ॉकलैंड्स युद्ध हुआ
था।
22 जून 1986 को साँसें थमा देने वाले इस रोमांचक मैच के 51 मिनट बीत गए थे और दोनों टीमों में से कोई एक भी गोल नहीं कर पाया था। इसी समय माराडोना विपक्षी टीम के गोलकीपर पीटर शिल्टन की तरफ़ उछले और
उन्होंने अपने हाथ से फ़ुटबॉल को नेट में डाल दिया। हाथ का इस्तेमाल होने
की वजह से यह गोल विवादों में आ गया।
फ़ुटबॉल के नियमों के अनुसार हाथ का इस्तेमाल होने के कारण यह गोल फ़ाउल
था और इसके लिए माराडोना को 'येलो कार्ड' दिखाया जाना चाहिए था। लेकिन उस समय वीडियो असिस्टेंस टेक्नॉलजी नहीं थी और रेफ़री इस गोल को ठीक
से देख नहीं पाए। इसलिए इसे गोल माना गया और इसी के साथ अर्जेंटीना 1-0 से
मैच में आगे हो गया। मैच के बाद माराडोना ने कहा था कि उन्होंने यह गोल 'थोड़ा सा अपने सिर और
थोड़ा सा भगवान के हाथ से' किया था। इसके बाद से फ़ुटबॉल के इतिहास में यह
घटना हमेशा के लिए 'हैंड ऑफ़ गॉड' के नाम से दर्ज हो गई।
इसी मैच में इस विवादित गोल के ठीक चार मिनट बाद माराडोना ने कुछ ऐसा किया जिसे 'गोल ऑफ़ द सेंचुरी' यानी 'सदी का गोल' कहा गया। वो फ़ुटबॉल को इंग्लैड की टीम के पाँच खिलाड़ियों और आख़िरकार गोलकीपर शिल्टन से बचाते हुए ले गए और गोल पोस्ट के भीतर दे डाला।
इस गोल के बारे में बीबीसी के कमेंटेटर बैरी डेविस ने कहा था, "आपको मानना
ही होगा कि ये शानदार था। इस गोल के बारे में कोई संदेह नहीं है। यह पूरी
तरह से फ़ुटबॉल जीनियस है।"
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